Wednesday, April 9, 2014

लिखावट कुछ ऐसी भी

                       लिखावट कुछ ऐसी भी

वैसे तो हम सभी ने कई प्रकार कि लिखावट देखी होगी एक से एक स्टाइलिश लिखावट उन्हीं लिखावटों में से एक लिखावट ऐसी भी जिसका जिक्र मैं यहाँ करने जा रहा हूँ

                                                               ये लिखावट है पत्रकारों कि लिखावट 
बस यूँ ही बैठा  सोच रहा था कि पत्रकार किसी कॉन्फ्रेन्स में कैसे लिखते होंगे फिर थोड़ी सी मदद गूगल बाबा कि ली जहाँ  से मुझ ये कुछ फ़ोटो मिली जो बयां कराती है एक पत्रकार कि लिखावट जब मेने ये फोटोज़ देखी  तो मुझ लगा कि कुछ फ्रेंच में लिखा हुआ है पर जब बहुत ध्यान से इन लिखे हुए शब्दों पे गौर किया तो तप पाया कि ये फ्रेंच नहीं अपनी मात्र भाषा हिंदी के शब्द है । 

लेकिन आज २१वीं में टेक्नोलॉजी के ज़माने में जहा हर काम आसान हो गया है वैसे इस फील्ड में भी मोबाइल कि बदौलत आज पत्रकार बातों को रिकॉर्ड कर लेते है लेकिन मैं बताना चाहूंगा कि कि टीवी के पत्रकार तो नोट्स भी नहीं लेते । लगभग सभी पत्रकारों के पास  अच्छे फ़ोन है तो उसी से साथ का साथ दफ़्तर ईमेल करते रहते हैं और कुछ तो वो भी नि किया करते है ।

प्रिंट मीडिया के सभी पत्रकार  लिखते रहते है पर अगर देखा जाए तो उनके दफ़्तर में टीवी या बीजेपी की साइट पर मोदी के लाइव भाषण को लिख सकता है ।


पर अपना लिखा हुआ ही अपना होता है । खुद लिखने से बातों पर ध्यान रहता है । है न मजे कि बात कभी फुर्सत मिले तो इस बात पर गौर कीजियेगा ।

 तो लिखते रहिए और गुणी  बनिए ।

Thursday, April 3, 2014

शिखा की कहानी , शिखा की जुबानी

" शिखा की  कहानी 

 शिखा की  जुबानी "

"पापा को खो देने के बाद जिम्मेदारियों को समझने और सँभालने वाली शिखा लोधी राजपूत पत्रकारिता के छेत्र में अपना सिक्का जमाना चाहती है.………………। "

लखनऊ विश्वविद्यालय के पत्रकारिता व जन संचार विभाग की छात्रा सिखा राजपूत स्वाभाव से सरल,शांत, चुलबुली और खूबसूरत  है और ये दोस्ती भी बखूबी करना और निभाना जानती है,सिखा इससे पहले कि अपने जीवन के पथ पर आगे जाती हमने उन्हें सवालों के पिंजरे में कैद किया और उनके जीवन से जुड़े कुछ छुए-अनछुए पहलुओं को जानने कि कोशिश की तो आइये जाने उनके जीवन की कहानी उन्ही कि जुबानी :-

प्रश्न : हैलो शिखा जी कैसी है आप ? और कैसा व्यतीत हो रहा है आपका जीवन ?
शिखा : अच्छे है और जीवन भी काफी अच्छा गुज़र रहा है । 

प्रश्न : आपका लखनऊ से कितना पुराना रिश्ता है ?
शिखा : मेरा जन्म उन्नाव का है पर मैं प्रॉपर नवाबों के शहर कहे जाने वाले लखनऊ कि निवासी हूँ । 

प्रश्न : आप अपने शिक्षा के सफ़र के बारे में कुछ बताइये ?
शिखा : मैंने 3rd तक कि शिक्षा उन्नाव से ही शुरू कि उसके बाद कानपुर में शिफ्ट हुई 6th तक का सफ़र मैंने कानपुर से किया और उसके बाद से मैं प्रॉपर नवाबों के शहर कहे जाने वाले लखनऊ कि निवासी बन गई । 

प्रश्न : आपके परिवार में कौन कौन है ?
शिखा : मेरा परिवार बहुत ही छोटा सा है मेरे परिवार में मेरी माँ,मेरे दो छोटे भाई है। माँ नौकरी करती है ,एक भाई क्लास में है और दूसरा भाई बी.ए १st इयर में है । पापा का का शाया मुझ पर से ७ साल पहले ही उठ गया । 

प्रश्न : आप अपने परिवार में सबसे ज्यादा किस्से जुडी है ? और उस व्यक्ति से जुड़े होने के पीछे का कारण  क्या है ?
शिखा: मेरा लगाव सबसे अधिक मेरी माँ से है ,पापा के जाने के बाद मेरी माँ ही मेरा सबसे बड़ा सहारा बनी आज में जो कुछ हूँ उन्हीं के होसले कि वजह से हूँ माँ से मुझ जीवन में आगे बढ़ने कि प्रेरणा मिलती है, मैं जो कुछ भी करती हूँ अपनी माँ से जरुर बांटती हूँ छोटी से छोटी बात और शैतानियां तक में उनसे नहीं छुपाती हूँ । 

प्रश्न: पापा  को खोने का गम बहुत बड़ा होता है, आपने खुद को कैसे सम्भाला ?
शिखा: इस बात को सात साल हो गए जाब पापा का शाया मुझ पर से उठा,घर में सबसे बड़ी होने के कारण जिम्मेदारियों का पहाड़ सा टूट पड़ा मम्मी के बाहर रहने के कारण मेने जिम्मेदारियों को समझा और खुद को सम्भाला । 

प्रश्न : उम्र के इस पड़ाव पर पहुँच कर आपको क्या लगता है कि आपका कैरियर किस तरफ मोड़ ले रहा है ? 
शिखा : मेरा कैरियर  किस तरफ मोड़ ले रहा है या किस तरफ मोड़ लेगा इसके बारे तो मई भी कुछ नहीं जानती पर हाँ मैं प्रिंट और इलेकट्रोनिक मीडिया से जुड़ना चाहती हूँ ।

प्रश्न: मीडिया से आप क्यों जुड़ना चाहती है इसके पीछे कोई खाश वजह ?
शिखा :
नहीं ,कोई खास वजह नही है मीडिया से जुड़ने कि बस मैं समाज सेवा के कार्यों में थोड़ी रूचि रखती हूँ तो सोचा कि क्यों ना इसकी शुरुआत  मीडिया से जुड़ कर कि जाए । 

प्रश्न: शिखा जी जैसा कि हम सभी देख रहे है सुन रहे है कि आये दिन लड़कियों पर कोई ना कोई जुल्म होता है और हो रहा है तो आपकी इस हो जुल्मों के ऊपर क्या राय  है ?
शिखा : मुझे यह सोच कर बहुत दुःख होता है कि हम किस तरह के भारत में रहते है क्या यह वही भारत है जिस देश में एक स्त्री को दुर्गा माँ ,काली माँ का दर्जा दिया गया है । एक तरफ हम माँ दुर्गा,माँ काली और माँ लक्ष्मी कि पूजा करते है और दूसरी तरफ उनके ऊपर जुल्म क्यों ? मेरा साफ़ तौर पर कहना है कि हमें हमरे समझ कि सोच में बदलाव लाना होगा खाश कर कि मर्दों की सोच में और इसकी शुरुआत हमें अपने ही घर से करना चाहिए । लड़कियों को बचपन से ही ऐसा बनाये कि वो किसी पर आश्रित ना रहें । 

प्रश्न: निर्भया केस पर आपका क्या कहना है ?
शिखा : बस यही कहना चाहूंगी कि ऐसा हादसा कभी दुबारा न हो ।

प्रश्न: जिंदगी का कोई ऐसा पहलु जो आप हमारे साथ शेयर करना पसंद करे ?
शिखा : 
स्कूल का समय,वो बीता हुआ पल मैं जब भी याद करती हूँ ख़ुशी महसूस करती हूँ । 


                                                                   प्रश्न : कोई ऐसी ख़ुशी ?
शिखा : जब मैंने एक ही दिन साइकिल चलना सिखा वो दिन आज भी जब याद करती हूँ तो मुस्कान खुद ब  खुद होंठो पर आ जाती वो क्लक्ले सीखना मेरे जीवन कि ख़ुशी का एक सबसे बड़ा हिस्सा है । 

प्रश्न: प्यार और दोस्ती आपके लिए आपके जीवन में क्या मायने रखती है ?
शिखा : दोस्ती मेरे लिए मेरे जीवन में बहुत ही मायने रखती है,और रही बात प्यार कि प्यार के मामले में मुझे कोई एक्सपीरियंस नहीं है । 

प्रश्न: प्यार का कोई एक्सपीरियंस नहीं होता उम्र के इस पड़ाव में आपको प्यार के कीड़े ने ना काटा हो ऐसा नहीं हो सकता ?
शिखा: (हँसते हुए) प्यार हुआ लेकिन बात आगे बन नहीं पाई ।

प्रश्न : शिखा जी आपको पत्रकारिता करते हुए लगभग एक साल पूरा होने को है ये अभी तक का समय कैसा बीता आपका ?

शिखा: बहुत ही अच्छा गुज़र  रहा है,दिन पर दिन कुछ नया सीखने को मिल रहा है और सबसे बड़ी बात कि चीजों को देखने और समझने का नजरिया बदल रहा है ।

प्रश्न: जैसा कि आपने कहा कि आपके लिए दोस्ती बहुत मायने रखती है तो पत्रकारिता कि क्लास में आपको कैसे और कितने दोस्त मिले ?
शिखा: काफी अच्छे दोस्त मिले है मुझे लेकिन कुछ लोग ऐसे भी है जिनसे बार भी वार्ता नहीं हुई है ।

प्रश्न: जिनसे एक बार भी वार्ता नहीं हुई,उसने वार्ता न होने के पीछे कोई ठोस वजह ?
शिखा: नहीं कोई ठोस वजह नहीं है ,बस मैं एक बार कोशिश करती हूँ कि अपनी तरफ से अगर रेस्पॉन्स नहीं आता है तो मई दुबारा कोशिश नहीं करती हूँ ।

प्रश्न: क्लास में कोई ऐसा जो आपके बहुत करीब है और क्यों ?
शिखा: हाँ,शालू अवस्थी मेरी सबसे करीब है,शालू स्वभाव से काफी मिलनसार और चंचल लड़की है मेरा और शालू का स्वभाव काफी हद तक एक जैसे होने के कारण वो मेरे सबसे करीब है ।

प्रश्न: सुना है आपको घूमना बहुत पसंद है आप अभी तक कहाँ कहाँ घूमी है और भविष्य में कहाँ कहाँ जाना चाहेंगी ?
शिखा: (हँसते हुए) सही सुना है आपने मुझे घूमना बहुत पसंद है मैं अभी तक दिल्ली,जम्मू,विंध्याचल,नेपाल और नॉएडा गई हुई और भविष्य में भारत की खूबसूरत जगहों को देखना चाहूंगी ।

प्रश्न: आपका नाम शिखा लोधी राजपूत है,आपके जीवन में आपका सर नेम राजपूत कितना मायने रखता है ?
शिखा: मेरा नाम के पीछे राजूपत लगा होने से उसका मेरे जीवन पर कोई अधिक फर्क नहीं पड़ता है अगर सर नेम से काम चलता तो मेरा नाम शिखा क्यों होता जो भी है सब कुछ मेरा नाम है (हँसते हुए)।

प्रश्न: नवाबों के शहर लखनऊ में आपको क्या क्या पंसद है ?
शिखा: लखनऊ में मुझे इमामबाड़ा,मनकामेश्वर मंदिर,फाउंटेन पार्क और दिलकुशा कोठी बहुत पसंद है।

प्रश्न: आपको किस प्रकार के T.V प्रोग्राम्स देखना पसंद है ?
शिखा : मुझसे ख़बरें देखना पसंद है मैं रेगुलर खबर देखती रहती हूँ उसके अललवा मुझे WWE देखना पसंद है।

प्रश्न: WWE ? WWE में आपको कैसे रूचि हुई ?
शिखा: (हँसते हुए) आम तौर  पर लड़कों को ये प्रोग्राम बहुत पसंद आता है लेकिन घर में मेरे दो भाई है जिन्हे ये प्रोग्राम देखना बहुत पसंद है और मुझे इंटरेस्ट भाइयों के साथ ये प्रोग्राम देख कर ही आया और आज मेरा पसंदीदा फाइटर जॉन शीना है ।

प्रश्न: भारतीय फिल्मों के बारे में आपकी क्या सोच है ?
शिखा: आज हम २१वी  सदी मे है जहाँ फ़िल्में और लोगों का टेस्ट बदल गया है, लेकिन इस दौर में भी मुझे knowladgeable movies गुलाल,डोर जैसी सामाजिक तथ्यों से जुडी फ़िल्में काफी पसंद आती है । सलमान खान और दिया मिर्जा मेरे पसंदीदा कलाकार है ।

प्रश्न: खाने में आपकी रूचि ?
शिखा: भारतीय खाना मुझ बेहद पसंद आता है खाश कर कि दछिण भारतीय साथ में चाइनीस खाना भी पंसद है।

प्रश्न: आपके जीवन का कोई हादसा जो आप हमारे साथ बाटना चाहे ?
शिखा: वैसे तो मेरे साथ मेरे जीवन में कई हादसे हुए है लेकिन मुझ एक हादसा  आज भी याद है कि एक बार मैं अपने छोटे भाई के साथ लड्डू लेने जा रही थी और मेरे सामने गलत रास्ते से आ रहे एक स्कूटर से हमारी टक्कर हुई पर भगवान  का शशुक्र था कि हमें कुछ नही हुआ। और तब से आज तक मैं लड्डू लेने नहीं गई (हँसते हुए)।

प्रश्न: भगवान में आपको कितना विश्वास है?
शिखा: (हँसते हुए) भगवान को कौन नहीं मानता सभी धर्म के लोग मानते है। कोई अगर यह कहे कि मैं भगवान् को नहीं मानता/मानती तो ये नामुमकिन ये हमारा देश भारत बड़ा ही धार्मिक तो भगवान् ऊपर से न सही दिल में तो जरुर है । 

प्रश्न: भविष्य में आपकी क्या प्लानिंग है ?
शिखा: आगे चल कर मैं जॉब करना चाहूंगी शादी के बाद भी ।

प्रश्न: आपको आपका अपना जीवन साथी कैसा होना चाहिए ?
शिखा: मेरा जीवन साथी अच्छा हो,सेल्फ इंडिपेंडेंट हो,वर्किंग हो, मुझे मेरी हर मुस्किल में साथ दे और मुझसे ज्यादा मुझे प्यार करने वाला हो ।

प्रश्न: आप अपने स्वभाव के बारे म कुछ बताइये ?
शिखा: मैं बहुत ही सिंपल लड़की हूँ मुझमे attitude नाम कि चीज़ नहीं है मैं सबके साथ फ्रेंडली व्यवहार करती ःऊण। 

प्रश्न: आपकी कमजोरी और ताकत के बारे में कुछ बताइये ?
शिखा: पॉजिटिव थिंकिंग मेरी सबे बड़ी ताकत है और बीत हुए बुरे वक्त से भी सिखने कि कोशिश करती हूँ और मेरी कमजोरी मेरा परिवार है क्यों कि मैं नहीं चाहती हूँ कि उनको कोई तकलीफ़  हो ।

प्रश्न: कोई संदेश जो आप हमारे पाठकों को देना चाहे ?

शिखा: बस यही कहना चाहूंगी कि लड़कियों कि महत्वता को समझे पर हो रहे जुल्मों  को खत्म करें  GIVE SOME RESPECT TO FEMALES AND BE A JENTALMAN. क्योंकि आपके जीवन में भी एक लड़की का रोल किसी न किसी रूप में है बीवी,बहन,माँ,गर्लफ्रेंड इत्यादि । तो मेरी यही एक रिक्वेस्ट है कि "जिओ और जीने दो ।"

प्रश्न: सिखा जी एक आखिरी सवाल आपका रोल मॉडलकौन है ?
 शिखा : मेरी माँ ही मेरी रोल मॉडल है । 


शिखा जी बहुत बहुत शुक्रिया हमें अपने जीवन के कीमती पलों में से कुछ अमूल्य पल हमें देने के लिए। आप अपने जीवन में सबसे ऊँचे पायदान पर काबिज हों हूँ आपकी अपार सफलता कि कामना करते है।


तो ये थी चुलबुली नटखट मिजाजी सिखा लोधी राजपूत जी जिनसे हमने उनकी असल जीवन से लेकर भविष्य तक की जाने अनजाने पहलुओं को छूने की कोशिश की,उनसे बातचीत कर के लगा कि वो अपने कैरियर को ले कर थोड़ी से उलझन में है और थोड़ी कन्फ्यूज्ड भी। 

Sunday, March 30, 2014

अश्लीलता का समाजीकरण

                     अश्लीलता का समाजीकरण
  होली हिन्दुओं के मुख्य त्योहारों में से एक है । यह भारत के लगभग सभी प्रांतों में मनाया जाता है । रंग,राख,अबीर,कीचड़,पेंट आदि में सराबोर हो कर उत्तेजक और अश्लील गीतों के साथ प्रत्येक वर्ग के हिंदू  स्त्री-पुरुष इस त्यौहार के जश्न में दिन भर डूबे  रहते है । " वास्तव में यह उत्सव प्रेम करने से संबंधित है किन्तु शिष्टजनों कि नारियां बहार नहीं निकल पाती क्यों कि उन्हें इस बात का भय रहता है कि लोग भद्दी गलियां ना दे बैठें । " इस दिन छेड़छाड़,फब्तियाँ,अश्लील टिप्पड़ियां सब जायज़ माना जाता है । कुछ ऐसे सम्बन्ध है जैसे जीजा-साली , देवर-भाभी, नन्दोई-सहरज आदि के बीच हंसी ठिठोली और रंग गुलाल का प्रयोग तो सामाजिक हदे पार कर जाती है । उस दिन हिन्दू युवतियां अपने ही घर मे असुरक्षित महसूस करती है क्योंकि एक तो छेड़छाड़ का समाजीकरण दूसरे नशीले पदार्थों का खुल्मखुल्ला प्रयोग । होली के गीतों (फगुवा) में खुल्मखुल्ला भड़काऊ और अश्लील शब्दों का प्रयोग भी जायज माना जाता है । सबसे आश्चर्य कि बात तो यह है कि ऐसे गीत लोग जिस्मे अधिकांशतः बहुजन समाज के सदस्य ही होते है, अपने ही घरों,गलियों और मुहल्लों में गाते है जिसे सुन कर महिलाएं / युवतियां शर्मशार होते हुए भी कुछ नही कह पाती है और पुरुष नशे में धुत हो कर गाते-झूमते और कुछ भी बोलते रहते है । इस दिन हजारो लीटर शराब क्विंटल के क्विंटल मांस गटक जाते है । शराब और भंग पीना तो जैसे होली के लिए धर्म बन जाता है । प्रत्येक आयु वर्ग का पुरुष नशे में मतवाला बन जाता है । उस दिन मजाल है कि कोई सभ्य व्यक्ति क्या लड़की अकेले सड़क पर चल ले । इस प्रकार होली मांस-मदिरा से मदमस्त मनचले पुरुषों के मस्तिष्क में जब होली के अश्लील गीतों का हिलोरें उठता है तो किसी कमजोर पड़ोसिन अथवा संवेदनशील रिश्तों वाली युवतियों को अपने हवस का शिकार बना डालता है । यही है होली

होली के दिन सबसे ज्यादा दंगा-फसाद,मार-पीट छेड़खानी,राहजनी तथा बलात्कार कि घटनाए होती है। सम्मत जलाने का स्थल तो पुरानी रंजिश का हिशाब चुकाने का सबसे बेहतर मौका होता है । सभ्य जन भी छोटे-मोटे अप्रिय हरकतों और छेड़छाड़ को जायज मानते है आश्चर्य है कि फिर भी इस त्यौहार को सामाजिक सदभाव  और प्रेम-भाईचारे का पर्व माना जाता है । इक्छा  हो अथवा न हो अगर कोई अगर कोई चहरे में पेंट  पोत  रहा है तो चुप चाप ऐसा करने देना है वरना वो हो जाएगा जो नहीं होना चाहिए। प्रेम-भाईचारा का ऐसी मिसाल हिंदुस्तान के बाहर कहाँ मिलेगी ?


 " होली बहुत ही मनमौजी त्यौहार है और इसी मनमौजीपन का जलवा है कि बड़ी संख्या में हत्या,बलात्कार और घायलों की संख्या ।"